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अटेर से विधायक अरविंद सिंह भदौरिया बीजेपी के जमीन से जुड़े कार्यकर्ता है. और पार्टी के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो ऑपरेशन लोटस को पूरा करने में भी अरविंद सिंह भदौरिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी. भिंड जिले के हैं. ग्वालियर चंबल को बखूबी समझते हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि वहां से विधायकों को कांग्रेस से बीजेपी में लाने में भदौरिया ने कितनी मेहनत की होगी. शायद इस उम्मीद पर की जब सरकार बनेगी तब उन्हें इस मेहनत का इनाम मिलेगा. लेकिन अब वही मेहनत उनके आड़े आ गई है. जिसका एक सबसे बड़ा कारण हैं खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरा बड़ा कारण हैं सिंधिया समर्थक. ये तो सब ही जानते हैं कि सिंधिया के बीजेपी में आने से अब बीजेपी नेताओं का ग्वालियर चंबल में दबदबा कुछ कम हो जाएगा. क्योंकि महाराज का सिक्का वहां बड़ा मजबूत है. दूसरी कारण यानि कि सिंधिया समर्थक इसलिए मुश्किल बढ़ा रहे हैं क्योंकि उनकी वजह से बीजेपी खुद अपने नेताओं की अनदेखी कर रही है या चाह कर भी उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दे पा रही. सरकार बनाने के लिए मेहनत करते हुए अरविंद भदौरिया ने भी ये कहां सोचा होगा कि वो जिन नेताओं को पार्टी से जोड़ने के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं. उन्हीं की वजह से हाथ से मंत्री पद निकल जाएगा. और अब तो अटेर से दूसरे नेता सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत कटारे को भी बीजेपी से जोड़ने के प्रयास जारी हैं. अगर ऐसा हुआ तो फिर अगले चुनाव में ये तय करना बहुत मुश्किल होगा कि अटेर से टिकट हेमंत कटारे को मिलेगा या फिर अरविंद भदौरिया को. यानि आने वाला वक्त फैसले लेने के लिहाज से बेहद मुश्किल होने वाला है.