सिंधिया को बार-बार कौन करवा रहा MP से तड़ीपार?
सिंधिया को फिर मिला एमपी से बाहर का प्रभार एमपी में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से बाहर हैं सिंधिया सिंधिया के एमपी से बाहर रहने पर किसका फायदा
गुना के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भावी सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किए गए थे। उनके समर्थकों का कहना है कि चुनाव से पहले सिंधिया का चेहरा आगे करके युवा नेतृत्व का वादा करके चुनाव जीता गया लेकिन इसके बाद सिंधिया को साइड लाइन कर दिया गया। एमपी में कांग्रेस की सरकार बनी तो कमलनाथ मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को उप मुख्यमंत्री तक नहीं बनाया गया। वहीं लोगों का ये भी कहना है कि साजिश रचके सिंधिया को गुना से लोकसभा का चुनाव भी हरवाया गया और उन्हें लगातार एमपी से बाहर रखे जाने की साजिश की जाती रही। पहले सिंधिया को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानी AICC का महासचिव बनवाकर दिल्ली में बैठा दिया गया और वहीं कमरा भी फिक्स करवा दिया गया बाद में यूपी के चुनाव की कमान भी दे दी गई। किसी तरह सिंधिया यूपी प्रभारी का पद छोड़कर और एआईसीसी के महासचिव पद से त्यागपत्र देकर वापस एमपी में आने की कोशिश कर रहे थे कि एक बार फिर सिंधिया को महाराष्ट्र में चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष का पद देकर एमपी से बाहर कर दिया गया। सिंधिया समर्थकों को उम्मीद थी की सीएम कमलनाथ एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के चलते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ देंगे और सिंधिया पीसीसी अध्यक्ष बनकर फिर से एमपी की राजनीति में सक्रिय हो जाएंगे लेकिन ऐसा हो न सका। सिंधिया को एमपी से बाहर रखने जाने से सिंधिया समर्थक बेहद नाराज हैं। कमलनाथ सरकार में सिंधिया गुट की मंत्री इमरती देवी ने तो खुलेआम इस फैसला की निंदा की है। अब सवाल ये उठता है कि सिंधिया को एमपी से बाहर करने में किसका हाथ है, किसको सिंधिया के एमपी में रहने से नुकसान है और बाहर रहने से फायदा। तो इस सवाल के जवाब में अधिकतर लोग एक ही व्यक्ति का नाम ले रहे हैं। जिस व्यक्ति को सिंधिया के बाहर रहने से फायदा है उसके कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से अच्छे रिलेशन हैं और यही कारण है कि एक बार फिर एमपी में आते-आते सिंधिया को बायपास से महाराष्ट्र भेज दिया गया है।