पूर्व कांग्रेसी सांसद और विधायक और विंध्य क्षेत्र में श्रीनिवास तिवारी की राजनैतिक विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले कद्दावर नेता सुंदरलाल तिवारी के अचानक निधन के बाद कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है। वहीं पूरे विंध्य इलाके में फैले तिवारी के हजारों समर्थकों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि अचानक ऐसा कौन सा तनाव था जिसके कारण उन्हें हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई। सूत्रों का कहना है कि मौत के पहले वाली रात में सुंदरलाल तिवारी की मोबाइल पर कांग्रेस के एक बड़े नेता से गरमागरम बहस हुई थी। वे नेता तिवारी को लोकसभा की दावेदारी वापस लेने के लिए दबाव बना रहे थे। सोमवार को सुबह हार्ट अटैक आने से एक घंटे पहले भी फोनपर ही विवाद हुआ था। समर्थक सुंदरलाल तिवारी के फोन के डिटेल्स जारी करने की मांग करने वाले हैं। लोगों का कहना है कि सुंदरलाल तिवारी को विधानसभा चुनाव हरवाने के पीछे भी कांग्रेस के नेताओं की भितरघात ही थी। सुंदरलाल तिवारी के समर्थक और कार्यकर्ता सभी आठों विधानसभाओं में हैं।
अब राजनैतिक जानकारों का कहना है कि सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद विंध्य में कांग्रेस के बुरे दिन आने शुरू हो जाएंगे। क्योंकि नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह राहुल को भी पिछले दो सालों से योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस के भीतर ही घेरा जा रहा है और उन्हें भी विधानसभा चुनाव हरवाने के पीछे कोई न कोई साजिश है। विंध्य क्षेत्र के दो कद्दावर नेताओं अर्जुन सिंह और श्रीनिवास तिवारी की वंश परंपरा के वाहकों में से एक अब दुनिया से चला गया है वहीं दूसरे को भी राजनैतिक रूप से निपटाने में कांग्रेसी ही जुटे हैं। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो यदि अजय सिंह राहुल की भी टिकट काट दी जाए तो आश्चर्य की बात नहीं है। लोगों का लगता है कि विंध्य इलाके में श्रीनिवास तिवारी और अर्जुन सिंह की राजनीतिक परंपरा को खत्म करने की किसी खास योजना पर काम चल रहा है भले ही कांग्रेस यहां से जड़ से उखड़ जाए।