बीच में काफी समय तक अलग अलग नामों से जानी जाती रही 133 साल पुरानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में 46 साल तक नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य शीर्ष पर रहे हैं। हालांकि अभी भी राहुल गांधी अध्यक्ष हैं। वैसे सबसे ज्यादा समय तक अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड सोनिया गांधी के नाम पर है। खैर अभी हम यहां बात कर रहे हैं कांग्रेस के एक ऐसे गैर नेहरू-गांधी अध्यक्ष की जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें बहुत बेआबरू करके अध्यक्ष पद से हटाया गया था और उसके बाद सोनिया गांधी अध्यक्ष बनी थीं। आप सही समझे ये थे केसरी चचा यानी सीताराम केसरी जिनके बारे में कहा जाता था खाता न बही जो चचा केसरी कहें वही सही, वही केसरी जब पार्टी अध्यक्ष पद से हटाए गए तो कहते हैं कि कांग्रेसियों ने उनकी धोती तक खींच ली थी। बात है 14 मार्च 1998 की। हालांकि सूत्रों के मुताबिक इससे एक दिन पहले यानी 13 मार्च को ही केसरी को हटाने की प्लानिंग कर ली गई थी। जितेंद्र प्रसाद ने CVC के मेंबर्स के लिए एक भोज आयोजित किया था जिसमें प्रणव मुखर्जी ने दो प्रस्ताव तैयार किए थे जिनके जरिए केसरी को या तो खुद इस्तीफा देना था या फिर CVC के मेंबर्स खुद नया अध्यक्ष चुनते। 14 मार्च को रखी गई CVC की बैठक में जब अध्यक्ष के रूप में सीताराम केसरी पहुंचे तो उनके पहुंचने से पहले प्रणब मुखर्जी के घर पर CVC के मेंबर्स ने नए अध्यक्ष का प्रस्ताव तैयार भी कर लिया था और सदस्यों के सिग्नेचर भी करवा लिए गए थे। तो जब 24 अकबर रोड में CVC की बैठक में सीताराम केसरी पहुंचे तो जानकारों के मुताबिक प्रणव मुखर्जी ने कांग्रेस के संविधान की धारा 19 (J) के तहत उनकी सेवाओं के लिए आभार प्रदर्शन का प्रस्ताव पढ़ना शुरू कर दिया। केसरी ने इस कदम को असंवैधानिक बताया तो उन्हें डांट कर चुप करा दिया गया। केसरी गुस्से में आकर उठ कर जाने लगे तो किसी ने उनकी धोती खींच दी। जब तक केसरी बाहर आते उनकी नेमप्लेट तक बदली जा चुकी थी और उस पर नई अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लिखा जा चुका था। कांग्रेस की बुजुर्ग नेताओं को सम्मान देने की इस परंपरा का बीजेपी को लोग अक्सर मजाक बनाते हैं।