भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव वैसे तो कांग्रेस के नेता रहे हैं. पर उनके जन्मशति वर्ष पर असल सम्मान देकर बीजेपी ने पीवी नरसिम्हा राव को अपना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पीवी नरसिम्हा राव के जन्मशति वर्ष की शुरूआत 28 जून के साथ हुई है. वैसे पीवी नरसिम्हा राव के बीजेपी नेताओं से काफी दोस्ताना संबंध रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी और पीवी नरसिम्हा राव की दोस्ती की मिसालें तो सियासी गलियारों में अब भी दी जाती है. कहा जाता है कि अटल बिहारीबाजपेयी को परमाणु परीक्षण करने की सलाह नरसिम्हा राव ने ही दी थी. ये कहते हुए कि उनके अधूरे काम अब अटलजी को ही पूरे करने हैं. वो सियासी प्रतिद्वंद्विता का दौर था. पर इस तरह सियासी बेइज्जती नहीं की जाती थी. उस वक्त खूब दोस्ती जमी अटल और नरसिम्हा राव की. ये भी कहा जाता है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस पर नरसिम्हा राव की मूक सहमति थी. जिसकी वजह से ढांचा डहाने में कार सेवक कामयाब रहे. बस इसीके बाद से कांग्रेस ने नरसिम्हा राव को हाशिए पर पटक दिया. उनके निधन के बाद दिल्ली में उनका स्मृति स्थल भी नहीं बनवाया गया. 2014 में तेलुगू देशम पार्टी के प्रस्ताव के बाद दिल्ली में नरसिम्हा राव का स्मृति स्थल बन सका है. अब बीजेपी ने भी इस साल को उनके जन्मशति वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है. टीडीपी, टीआरएस और बीजेपी ये खूब जानती हैं कि तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में नरसिम्हा राव का खूब सम्मान है और उनके लिए सहानुभूति भी है. इसलिए बीजेपी लगातार नरसिम्हा राव के सम्मान में बात कर रही है. टीडीपी भी उन्हें भारत रत्न देने की बात कर रही है. जिसका नतीजा ये हुआ है कि अपने इस भूले बिसरे नेता को कांग्रेस भी याद करने लगी है. क्योंकि कांग्रेस को ये आभास हो चुका है कि और देर की तो राव की विरासत बहुत जल्द उनके विरोधी दल के नाम हो जाएगी. और आंध्रप्रदेश में कांग्रेस को उसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. खैर देर तो कांग्रेस कर ही चुकी है. क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी तो मन की बात में भी नरसिम्हा राव के सम्मान में काफी बातें कह चुके हैं. ऐसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह कब पीवी नरसिम्हा राव बीजेपी के हो जाएंगे. कांग्रेस जान भी नहीं पाएगी.
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