किसी के घर में स्वर्ग तो किसी के घर मे नर्क है जिसका कारण सिर्फ सोच है .. लोग सोच बदल लें तो उनका जीवन का दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाए क्योंकि सोच ही हमारा सौभाग्य और दुर्भाग्य है। यह बात पुलक सागर जी ने रतलाम के नोहराद्ध में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही.. उन्होंने कहा कि जीवन में सोच ही सब कुछ कराती है। सोच में ही व्यक्ति सुखी और दुखी होता है.. सोच बदलना ही जीवन बदलने का काम है.. किसी व्यवस्था को बदलने के बजाए सिर्फ सोच बदली जाए तो सब ठीक होता है..
प्रवचन महाराज जी बाईट
आचार्य श्री ने जैन और जैनी बनने में अंतर बताते हुए कहा कि जैन वह है जो भगवान को मानते हैं और जैनी वह होते हैं जो भगवान की मानते हैं
रतलाम से सुशील खरे की रिपोर्ट