मैं अयोध्या के घटनाक्रम से परेशान हूं. उम्मीद है कि आप व्यक्तिगत रूप से इस मामले को हल करने में रूचि लेंगे.
हाल ही में अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद अगर आप इस कथन को भी किसी हालिया नेता से जोड़ कर देख रहे हैं तो आप गलत हैं. ये शब्द भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के हैं. जो उन्होंने एक तार के माध्यम से यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लब पंत तक पहुंचाए थे. ये उस वक्त की बाद है जब बाबरी मस्जिद में राम लल्ला की मूर्तियां प्रकट हुई थीं. कहा जाता है कि उस वक्त नेहरू खुद अयोध्या जाना चाहते थे लेकिन किसी कारण से जा नहीं सके. उस वक्त उन्होंने पंत को ये तार भेजा था. हालांकि कुछ खबरें ये भी कहती हैं कि नेहरूजी चाहते थे कि उन मूर्तियों को मस्जिद से बाहर स्थापित कर दिया जाए ताकि अयोध्या में शांति कायम रहे. पर उस वक्त वहां तैनात डीएम केके नायर ने इंकार कर दिया. उनका तर्क था कि इससे दंगे भड़क सकते हैं. इसके बाद उन्होंने पूरी मजबूती से कहा था कि अगर सरकार यह काम कराना चाहती है तो उनकी जगह किसी दूसरे अधिकारी को यहां तैनात कर दिया जाए. 23 दिसंबर 1949 को हुई इस घटना के तीन दिन बाद नेहरूजी ने पंत को वो तार भेजा था. उसकी बाद से अयोध्या का विवाद साल दर साल गर्माता चला गया.