मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बीच तो गुटबाजी सबको पता ही है ये गुटबाजी सरकार में भी दिखाई देने लगी है। कमलनाथ मंत्रीमंडल में दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ गुट के मंत्रियों के बीच का अंतर भी नजर आने लगा है। सियासी जानकारों का कहना है कि सरकार में सिंधिया और दिग्विजय समर्थक मंत्रियों को कम तवज्जो दी जा रही है और यही कारण है कि प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी भी सिंधिया गुट के मंत्रियों की नहीं सुनते। यही दर्द कैबिनेट की बैठक में भी सिंधिया गुट के मंत्रियों ने ज़ाहिर किया था जिसे सीएम कमलनाथ के खिलाफ बगावत के रूप में माना गया। सिंधिया के खास समर्थक माने जाने वाले गोविंद सिंह राजपूत के मामले में भी कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है। चार दिन पहले गोविंद राजपूत ने सीहोर में औचक निरीक्षण किया था और गंभीर अनियमितताएं पाए जाने पर तहसीलदार को तत्काल निलंबित करने के आदेश दिए थे लेकिन मंत्री जी के आदेश पर न तो कलेक्टर ने अमल किया और न ही राजस्व विभाग के पीएस या कमिश्नर ने इस पर कोई कदम उठाया। उल्टे राजस्व अधिकारी संघ मंत्री के खिलाफ हो गया और आंदोलन और हड़ताल की चेतावनी दे डाली। कलेक्टर ने तो मंत्री के आदेश पर अमल करने से साफ इनकार ही कर दिया। सत्ता के किसी दूसरे ध्रुव के संरक्षण या शह के बगैर अधिकारियो कर्मचारियों का ऐसा कर पाना संभव नहीं है। ऐसा नहीं है कि सीएम कमलनाथ की जानकारी में ये बातें नहीं हैं लेकिन उन्होंने भी पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। मंत्री जी अपनी प्रतिष्ठा बचाए हुए उस दिन से चुप हैं और फिर किसी औचक निरीक्षण पर भी नहीं निकले लेकिन सियासी गलियारों में ये बातें चटखारे लेकर कही-सुनी जा रही हैं। सुना है दिग्गी गुट के मंत्रियों की भी यही शिकायत है कि अधिकारी कर्मचारी उनके आदेशों-निर्देशों को नज़रअंदाज़ करते हैं। लोगों को पार्टी और सरकार की इस अंदरूनी गुटबाजी का सतह पर आने का इंतजार है।