बड़वानी में कलयुग का श्रवण कुमार

बड़वानी की सड़कों पर एक ठेला गाड़ी पर बुजुर्ग महिला को बिठाकर घुमाने का यह मामला देखने में तो अजीबोगरीब लग रहा है… लेकिन इस तरह सफर करना गरीब की मजबूरी है और मां के प्रति समर्पण है….. जी हां कलयुग में अपनी मां को पांव में हुए घाव को लेकर इलाज के लिए ठेला गाड़ी पर बिठाकर पैदल धकाते हुए 12 किलोमीटर का सफर तय कर लोनसरा खुर्द से बड़वानी ला रहा है… यही नहीं पिछले 20 दिनों में 4 बार 12 किलोमीटर आने और जाने में 24 किलोमीटर का सफर पैदल तय करता था… राधू की माँ रेवा के पांव में कांटा लग जाने के बाद से घाव बढ़ता जा रहा था… जिसकी ड्रेसिंग के लिए राधू मां को 20 दिन में 4 बार जिला अस्पताल लेकर आ चुका है… राधू और उसके भाई रामु की माली हालत ठीक नहीं है… और गांव से कोई बस भी नही गुजरती ऐसे में सिवाय हाथ ठेले के कोई विकल्प नही बचता… गांव के ही कालूराम ने बताया कि पिछले 12 वर्षों से बस की सुविधा नहीं है यही नहीं गांव में स्वास्थ्य केंद्र में भी पर्याप्त सुविधा नहीं है… जिसके कारण इलाज और बाकी कामों के लिए अंजड़ और बड़वानी तक पैदल जाना पड़ता है… गांव से बस सेवा नहीं होने के कारण बड़ा तबका प्रभावित हो रहा है….

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