इंदौर लोकसभा सीट से आठ बार जीत का रिकॉर्ड बनाने वाली सुमित्रा महाजन क्या इस बार नौवीं बार भी टिकट लेकर एक नया रिकॉर्ड बनाएंगी या कैलाश विजयवर्गीय इंदौर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? ये सवाल सभी के ज़ेहन में है। पिछली बार चार लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर रिकॉर्ड बनाने वाली ताई को नौंवीं बार उम्मीदवार बनाने की संभावना ज्यादा दिखाई दे रही हैं। और सबसे खास बात ये है कि इंदौर लोकसभा क्षेत्र का चुनाव संयोजक कैलाश विजयवर्गीय के खासमखास दो नंबर विधानसभा के विधायक रमेश मैंदोला को बनाया गया है और अब अगर ताई चुनाव लड़ती हैं तो उन्हें जिताने की जिम्मेदारी मैंदोला की होगी। वैसे अगर 2013 के विधानसभा चुनावों की हाल के विधानसभा चुनावों से तुलना की जाए तो कांग्रेस ने दो लाख से ज्यादा वोटों का अंतर कम किया है। वहीं 2014 के लोकसभा चुनावों की तुलना में कांग्रेस विधानसभा 2018 में साढ़े तीन लाख वोटों का अंतर पाट चुकी है।
इंदौर लोकसभा में वोटों का गणित
चुनाव वर्ष भाजपा कांग्रेस
2013 (विधानसभा) 753552 (7 सीट) 509792 (1 सीट)
2014 (लोकसभा) 854972 388071
2018 (विधानसभा) 814334 (4 सीट) 719204 (4 सीट)
ताई के लिए प्लस पॉइंट –
1. इंदौर में एयर और रेल सुविधाएं बढ़ाने के लिए काम किया
2. इंदौर के विकास के लिए केंद्रीय मदद दिलाने में योगदान
3. आठ बार की सांसद, कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को हराया
4. साफ और निष्पक्ष छवि, भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं
ताई के लिए माइनस पॉइंट
1. कैलाश विजयवर्गीय, मालिनी गौड़ जैसे नेताओं से पटरी न बैठना
2. काफी सालों से एक ही उम्मीदवार को चुनाव लड़ाने का विरोध
3. लोकसभा अध्यक्ष होने के चलते इंदौर को कम समय दे पाना
4. इतने सालों से सांसद होने के बावजूद इंदौर का अपेक्षित विकास न करवा पाना
हालांकि इंदौर लोकसभा की अगर बात की जाए तो यहां पर भाजपा के लिए जीतने की उम्मीदें काफी ज्यादा हैं क्योंकि हार जीत का अंतर भी काफी ज्यादा रहा है। ऐसे में अगर सुमित्रा महाजन को उम्मीदवार बनाया जाता है तो वो नौ बार जीतने का रिकॉर्ड बना सकती हैं।