कुर्सी जाने के बाद एक बार फिर कमलनाथ मीडिया से मुखातिब हुए। पत्रकार वार्ता कम ऐसा लगा जैसे कमलनाथ पुरानी शिकायतों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। सत्ता में रहते हुए वह जो काम नहीं कर पाए उस पर सफाई देने की कोशिश कर रहे हैं। तो जब सफाई दे ही रहे थे तो सबसे बड़ा सवाल उठता है कि किसानों के लिए वादा करके वह सरकार में आए कितने किसानों का कर्ज वह माफ कर पाए । इसके जवाब में कमलनाथ ने कहा कि उन्हें अफसोस है कि वह सारे किसानों का कर्जा माफ नहीं कर पाए। इस बात का एहसास होते होते कमलनाथ के साथ बहुत देर हो गई यही बात सिंधिया उनके सत्ता में रहते हुए चिल्ला चिल्ला कर कहते रहे कि जो वादा करके सत्ता में आए हैं उसे पूरा करना चाहिए । किसानों का कर्ज माफ किया जाना चाहिए । लेकिन यह बात न कमलनाथ को समझ में आई ना उनके सलाहकारों को। नतीजा यह है कि सिवाय अफसोस करने के अलावा कांग्रेस के पास कुछ नहीं बचा है क्योंकि सरकार जा चुकी है और उन्हें बार-बार गलती का एहसास दिलाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में है। कमलनाथ अगर समय रहते चेत जाते तो सिंधिया शायद उन्हीं के साथ होते और वह प्रदेश के मुख्यमंत्री ही रहते। पर वो कहते हैं ना अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।