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गोविंद सिंह राजपूत के लगता है बुरे दिन शुरू हो चुके हैं। वैसे तो वो शिवराज कैबिनेट का हिस्सा बन चुके हैं पर आगे की राह उनके लिए बहुत आसान नहीं है। खासतौर से उपचुनाव में वो चारों तरफ से बुरी तरह घिरे हुए हैं। बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व करने वाले बीजेपी के नेता यह बिल्कुल नहीं चाहते कि गोविंद सिंह राजपूत चुनाव जीते। चुनाव जीतकर वापस कैबिनेट का हिस्सा बने रह सकें। इन बड़े नामों में शामिल है गोपाल भार्गव भूपेंद्र सिंह जैसे नेता। जिनका दबदबा क्षेत्र में काफी ज्यादा है और उनकी कैबिनेट में अनदेखी हुई तो इसका खामियाजा गोविंद सिंह राजपूत को भुगतना पड़ सकता है। उपचुनाव में। खबरें आ रही हैं कि खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने कट्टर समर्थक का साथ छोड़ने वाले हैं ।सियासी गलियारों में बहुत जोर पकड़ रही हैं कि सिंधिया पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि वह बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के लिए अपने किसी समर्थक को कैबिनेट में लेने से समझौता करें। वैसे भी गोविंद सिंह राजपूत की स्थिति अपने क्षेत्र में भी काफी कमजोर नजर आ रही है क्योंकि उनके क्षेत्र से ही पारुल साहू और बीजेपी के अन्य नेता उनके खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं इसे देखते हुए लगता है कि बीजेपी खुद वहां गोविंद सिंह राजपूत को हराने के लिए सकरी रहेगी। इसे देखते हुए यह माना जा रहा है कि सिंधिया भी बहुत जल्द गोविंद सिंह राजपूत का साथ छोड़ देंगे। और बीजेपी की इस बात को मान लेंगे कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए अपने समर्थक से समझोता करें। अगर ऐसा होता है तो समझिए कि गोविंद सिंह के पास मंत्री पद तो दूर विधायक ही रहना भी मुश्किल होगा।