स्वर कोकिला, मखमली आवाज की मल्लिका, सुरों की देवी, लता मंगेशकर के लिए ऐसे जितने विशेषणों का उपयोग किया जाए उतने कम हैं. लता मंगेशकर इस नाम के साथ जो तस्वीर उभरती है. एक सादगी पसंद महिला, पुराने जमाने की गुथी हुई चोटी और बीच से निकली हुई मांग, माथे पर गोल बिंदिया, और चेहरे पर हल्की सी मुस्कान. पर ये चेहरा ये मोहरा तब तक पूरा नहीं होता जब तक मुकुराते लबों के बीच से सुरीली आवाज न सुनाई दे. वो आवाज जो कई दशकों तक बॉलीवुड में मिठास घोलती रही. वो आवाज जो न जाने कितनी अदाकाराओं के करियर को संवार गई. वो आवाज जो जब तक बिखरती रही कोई और आवाज सुनाई ही नहीं दी. एक दौर था जब गाने लिखे जाते थे तब गाने के लिए सिर्फ एक ही नाम याद आता था लता मगेशकर. जिसने रिश्ते सिर्फ अपने परिवार और अपने संगीत से ही कायम किए. न कोई दोस्त, न कोई अन्य परिजन फिर भी सब अपने. कुछ गलतफहमियां हर जिंदगी में होती है. उनके जीवन में भी रही अक्सर वो अपनी बहन आशा भोंसले को लेकर विवादों में रहीं. पर हर बार उनका परिवार यही कहता रहा कि लता ने परिवार के लिए सबकुछ त्याग दिया शादी तक नहीं की. फिर वो कैसे किसी बहन की दुश्मन बन सकती है. उनकी एक बहन मीना ताई मंगेशकर ने लता मंगेशकर पर किताब भी लिखी है. जिसमें ये खुलास भी किया कि किस शख्स के बड़ा होने पर लता की जिंदगी शायद कुछ और होती. दरअसल जब पिता की मृत्यु के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी लता पर आई तब उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर भी बहुत छोटे थे. अगर भाई बड़ा होता तो शायद लता का जीवन भी दूसरी बहनों की तरह हो सकता था. लेकिन परिवार के लिए लता ने खुद एकाकी रहने का रास्ता चुना. और पूरा जीवन परिवार को अर्पित किया.