मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जिस बात का डर था वही हुआ भी. शिवराज 4.0 में तवज्जो उन नेताओं या विधायकों को मिली जो ग्वालियर चंबल से ताल्लुक रखते हैं. वजह साफ है आने वाले उपचुनाव में सबसे ज्यादा सीटें इसी अंचल की है. इसलिए इनकी अनदेखी संभव नहीं थी. दूसरी वजह रही महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबाव. जो हर हाल में बीजेपी में अपना दबदबा मनवाना चाहते थे. और इसमें कामयाब भी हुए. लेकिन सिंधिया की इसी कामयाबी में शिवराज सिंह चौहान की नाकामी छिपी है इसका अंदाजा मंत्रिमंडल को देखकर ही लगाया जा सकता है. जिसमें महाकौशल. और विंध्य पूरी तरह साफ नजर आया. जिसके बाद बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं. खासतौर से महाकौशल के नेता खासे नाराज नजर आ रहे हैं. सबको साधने के चक्कर में मंत्रिमंडल का संतुलन पूरी तरह गड़बड़ा गया है. सागर संभाग से तीन तीन मंत्री हैं. तो कोई कोई अंचल पूरी तरह गायब है. इसके चलते महाकौशल में अब बगावत नजर आने लगी है. बालाघाट से गौरी शंकर बिसेन ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है. हालांकि ये कह कर पार्टी को ढांढस जरूर बंधाया है कि वो अब भी बीजेपी के ही साथ हैं. पर असंतोष जाहिर करने में वो पीछे नहीं रहे. पार्टी के वरिष्ठ नेता और एक जमाने में शिवराज सरकार में मंत्री रहे अजय विश्नोई भी इस मंत्रिमंडल से नाराज हैं. और अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके हैं. अब ये वाकई शिवराज के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं है क्योंकि जब वरिष्ठ नेता ही बगावत पर उतर आएंगे तो उस जगह के कार्यकर्ताओं को संभालना भी मुश्किल हो जाएगा. कहीं ऐसा न हो कि इस वजह से बीजपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़े.
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